जो चाहो वो पाना है इतना मुश्किल क्यूँ
शेर दिल ये मेरा है आज बुजदिल क्यूँ
तमन्नाओं का जुगनू तो हर पल है जगता
बस रातों में इसे छुपाना है इतना मुश्किल क्यूँ ?
बनाई है मैंने, संभालूँगा मैं
ये , मेरी दुनिया है इतनीसी यारो।
ना तुम्हे है हक , ना मुझे इजाज़त
तो इसका हिस्सा कोई मैं दिखाऊ ही क्यों !
सपने जो मेरी कमज़ोर निगाहें
दो पल से ज्यादा सजा ना पाती ,
हर एक लम्हे में एक नया शहर
ये मेरे नैना ढून्ढ लेते है क्यूँ?
ना फूलों से प्यार मुझे
न फुर्सत से इनकार मुझे
अच्छाई से रिश्ता बनाना तो चाहा
पर अजनबी लगा ये संसार मुझे...
न फैसलों पर पचतावा हुआ कोई
न ख़ुशी का दरिया पाया कोई
फिर भी कोई शिकायत तो नहीं
बस, जीने की तरह दिन ना जिया कोई .
पर वो दिन भी लाऊंगा मैं
पत्थर की लकीर बनाऊंगा मैं
उस दिन को जिस दिन इन् सारे सवालों
का जवाब सिर्फ एक ही पाऊंगा मैं
कुछ तो है जो मेरे इरादों की
क्षमता से भी कई बड़ा है
जिस कागज़ पे लिखे वो सारे इरादे
वो कागज़ अभी भी वाही पड़ा है
तो खोलो खयालो की पोटली जिसमे
बेवजह मचलती अदाएं है यूँ,
जाने क्यूँ इतना मनाने पर भी ये पागल
लाता खो जाने के बहाने है क्यूँ !?
शेर दिल ये मेरा है आज बुजदिल क्यूँ
तमन्नाओं का जुगनू तो हर पल है जगता
बस रातों में इसे छुपाना है इतना मुश्किल क्यूँ ?
बनाई है मैंने, संभालूँगा मैं
ये , मेरी दुनिया है इतनीसी यारो।
ना तुम्हे है हक , ना मुझे इजाज़त
तो इसका हिस्सा कोई मैं दिखाऊ ही क्यों !
सपने जो मेरी कमज़ोर निगाहें
दो पल से ज्यादा सजा ना पाती ,
हर एक लम्हे में एक नया शहर
ये मेरे नैना ढून्ढ लेते है क्यूँ?
ना फूलों से प्यार मुझे
न फुर्सत से इनकार मुझे
अच्छाई से रिश्ता बनाना तो चाहा
पर अजनबी लगा ये संसार मुझे...
न फैसलों पर पचतावा हुआ कोई
न ख़ुशी का दरिया पाया कोई
फिर भी कोई शिकायत तो नहीं
बस, जीने की तरह दिन ना जिया कोई .
पर वो दिन भी लाऊंगा मैं
पत्थर की लकीर बनाऊंगा मैं
उस दिन को जिस दिन इन् सारे सवालों
का जवाब सिर्फ एक ही पाऊंगा मैं
कुछ तो है जो मेरे इरादों की
क्षमता से भी कई बड़ा है
जिस कागज़ पे लिखे वो सारे इरादे
वो कागज़ अभी भी वाही पड़ा है
तो खोलो खयालो की पोटली जिसमे
बेवजह मचलती अदाएं है यूँ,
जाने क्यूँ इतना मनाने पर भी ये पागल
लाता खो जाने के बहाने है क्यूँ !?
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